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बिछड़ के मुझसे तुम भी जी न पाओगे,,
सच कहता हूँ मेरे बिन बोहत पछतओगे......
बर्दाश्त का पैमाना है मेरा भी बोहत भरा,,
बोलो कितना रुलओगे बोलो कितना सताओगे.....
यादें मेरी सताएंगी बातें मेरी रुलायेंगी,,
मेरी निगाहों से तुम खुद को कहा तक छुपोगे.....
साया भी हुआ करता है क्या कभी इंसान से जुदा,,
तुम जहाँ भी जोगे साथ मुजको पाओगे.....
करदेगा मेरा खलूस यह हालत तुम्हारी,,
राज-ऐ-दिल जुबान तक लाओगे और कह न पाओगे.....
करता हूँ इंतज़ार उस लम्हे का मैं ,,
जब मुझे अपना कह कर पास बुलाओगे.....
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