Saturday, August 30, 2008

** Z=I=N=D=A=G=I **


गुलशन का राज़ पढ़ सकता है कोई कोई,
दर्द की दावा बन सकता है कोई कोई,
ख़ुशी में आ जाते है अक्सर आंसू,
गम में मुस्करा सकता है कोई कोई,

लोग अपना बनके छोड़ जाते है,
गैरों से रिश्ता जोड़ लेते है,
हम तो एक फूल भी तोड़ने से डरते है ,
लोग तो दिल भी बड़ी आसानी से तोड़ देते हैं .......

मुकाम ज़िन्दगी का हासील न कर पाए ,
मुस्कुराने पे भी कुशी न ढूंड पाए ,
आब जी रहे है एक तिनके पैर समुन्दर में ,
डरते है इस सहारे का भी साथ न छुट जाये ..


जिसने हमे चाह उसे चाह न सके ,
जिसे चाहते थे उसे पा न सके ,
यूँ समझो के दिल टूटने का खेल था ,
किसीका तोडा अपना बचा न सके .


नज़र को बदलो तो नज़ारे बदल जाते है ,
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते है ,
कश्तिया बदल ने की जरुरत नहीं ,
दिशा को बदलो तो किनारे खुद- ब- खुद बदल जाते है .

यूं तो पत्थर न मरो पानी में इसे भी कोई पीता होगा .
यूं तो पत्थर न मरो पानी में इसे भी कोई पीता होगा .
ज़िन्दगी मिली है जीने के लिए , उसे हसके जीओ ,
के आपको देख कर भी कोई मुस्कुराता होगा ,

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