आज दुल्हन के लाल जोड़े में ,
उसे उसकी सहेलियों ने सजाया होगा …
मेरी जान के गोरे हाथों पैर ,,
सखियों ने मेहँदी को लगाया होगा …
बहुत गहरा चडेगा मेहँदी का रंग ,
उस मेहँदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा …
रह रह कर रो पड़ेगी ,
जब जब उसको Khyaal मेरा आया होगा …
खुद को देखेगी जब आईने में ,
तो अक्स उसको मेरा भी नज़र आया होगा …
लग रही होगी बला सी सुंदर वोह ,
आज देख कर उसको चाँद भी शरमाया होगा …
आज मेरी जान ने ,
अपने माँ बाप की इज्ज़त को बचाया होगा …
उसने बेटी होने का ,
दोस्तों आज हर फ़र्ज़ निभाया होगा …
मजबूर होगी वोह सबसे ज्यादा ,
सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा …
अपने हाथों से उसने ,,
हमारे प्रेम के खतों को जलाया होगा …
खुद को मजबूत बना कर उसने ,,
अपने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा …
टूट जायेगी तस्वीर मेरी ,
जब उसकी माँ ने तस्वीर को टेबल से हटाया होगा …
हों जायेंगे लाल मेहँदी वाले हाथ ,
जब उन कांच के टुकडों को उसने उठाया होगा …
भूकी होगी वोह जानता हूँ में ,
कुछ न उस पगली ने मेरे बगेइर खाया होगा …
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करन सोलंकी
+९१-९३१६८६०४३८
Mind blowing Poem hai bhai......
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